भारत की पहिली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले के जीवन की कूच अनसूनी बाते! आप जाणते है?
भारत की पहिली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले के जीवन की कूच अनसूनी बाते! आप जाणते है?
Savitribai fule photo
1) सावित्रीबाई फुले कौन थी? कहा से थी ?
सावित्री बाई फुले भारत की पहिली महिला शिक्षिक और प्रसिद्ध समाजसुधारक, सत्यशोधक समाज के संस्थापक, बहुजन समाज के निर्माता महात्मा फुले की पत्नी थी ! उनका जन्म 3 जानेवारी 1831 मे महाराष्ट्र के सातारा जिले मे स्तित नलगाव मे हूआ. ऐसा बोला जाता है की हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता हैं पर यहाँ सावित्री बाई के पीछे ज्यातिबा फुले का हाथ था !
सावित्री बाई फुले की शादी बहोत कम उमर मे हूई थी, सावित्री बाई को कुच्छ पढणा लिखणा नहीं आता था ! ज्योतिबा जी ने उनको पाढना लिखना सिखाया. सावित्रीबाई की पढाई मे रूची बढणे लगी. उणको टिचींग करना भी अच्छा लागणे लगा, ये देखकर ज्योतिबा जी ने उनको टीचींग की ट्रेनिंग दीलाने ट्रेनिंग स्कूल भेजा!
3) सावित्रीबाई फुले की समाज के प्रति कार्य !
जब ज्योतिबा जी ने स्कूल खोला तो उनको कोई टीचर नहीं मिला . तब सावित्रीबाई ने वहा पाढाने का निर्णय लीया ! उन्होंने गाव गाव जाकर लोगो के घरोतक जाकर पढणे के लिये काहा , पढणे चलो का नारा लगाया . उस वक्त लोगो को पढणे मे रूची नहीं थीं, पढाई का महत्व नहीं पता था . वो बच्चे जो उनके मा बाप काम कर रहे हैं वही काम करके बडे होते थे और अशिक्षित रहते थे , पिढी दर पिढी यही चालता था .
सावित्रीबाई ने तब जो बच्चा स्कूल आयेगा उसको पैसे देणे का निर्णय लीया , कारण बच्चे स्कूल छोडके ना जाए ! उनका मुख्य लक्ष्य था लडकियो को घर से बाहर लाकर और सुशिक्षित करना . उनके इस निर्णय के कारण लडकियो को बहोत बल मिला !
4) सावित्री बाई फुले को अवॉर्ड और उनकी टिचिंग पॉलिसी!
सावित्रीबाई एक कवयित्री थी , नारी मुक्ती आंदोलन की नेता भी थी उन्होंने ने लडकियो का मनोबल बढाया था और उनके टिचींग के कारण लडकिया अच्छे नंबर से पास होणे लगी, इस वजाह से उनको ब्रिटिश अधिकारी के तरफ से बेस्ट टिचर का अवार्ड भी मिला था ! सावित्रीबाई पहिली महिला शिक्षिक तो थी ही साथ ही उन्होंने PTM शूरू की थी यानी कब parents teachers meeting इस कारण स्टूडेंट और परेंट्स मे पारदर्शिता रहे!
Savitribai fule nibandh
5) सावित्रीबाई को घर छोडणा पडा!
1948 मे जब फुले पती पत्नीने स्कूल शुरु किया तो उनको बहोत विरोध हूआ, इस कारण उन्हे घर छोडना पडा. उस वक्त ज्योतिबा फुले के मित्र उस्मान शेख के यहाँ रहणे लगे, उस्मान की बहेन फातिमा बहोत पढीलिखी थी ! तब सावित्रीबाई औंर फातेमा ने मिलकर गरीब बच्चो को पाढाणे का निर्णय लिया . फातिमा का सावित्रीबाई को अच्छा साथ मिला !
6) उणके स्कूल बंद हो गये !
फुले पती पत्नी के 1958 तक 3 स्कूल चल रहे थे जो की पहिले महायुध्द के कारण बंद पड गये. क्युकी ब्रिटिशो के नये कानुन के तहेत उनको जो फंडिंग मिलती थी वो बंद हो चुकी थी ! उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं माणी और काम करते रहे और 18 स्कूलो और 2 एज्युकेशन ट्रस्ट की स्थापना कीई. इसके तहत उन्होंने दलितो को पढाया.
सावित्रीबाई ने महिला सेवा मंडल की स्थापना की और उस वक्त जो पुराणी प्रथा परंपरा थी उस हर एक महिला विरोधी प्रथा परंपरा का विरोध किया !
7) सावित्री बाई फुले को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार!
सावित्रीबाई फुले को महाराष्ट्र सरकार द्वारा 10 मार्च, 1998 को "महाराष्ट्र भूषण" से सम्मानित किया गया था। उन्होंने दलित-बहुजन समाज के लिए जीवनभर समर्पित किया था और इनके योगदान ने एक समानता और न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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